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खालिस्तान समर्थक कनाडाई सिक्खों ने तिरंगे को पैरों तले रौंदा

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बहुल लम्बे समय से भारत के खिलाफ अपने मन में जहर भरे हुए कुछ खालिस्तानी सिक्खों ने , पहले भारत कनाडा के संबंधों का लाभ उठाते हुए वहां अपनी पहचान , अपना नाम रसूख और पैसा बनाया और फिर जब पूरी दुनिया में एक बार फिर से भारत अपने विकास और वैश्विक कद में आज सबसे ऊपर है तो आज कनाडा में बसे इन खालिस्तानियों ने कृतघ्नता की सारी हदें पार कर दीं।

खालिस्तानियों ने पहले अपने एक प्रदर्शन के दौरान , भारतीय तिरंगे को फुटबॉल पर लपेटा बल्कि उसे बार बार अपने पैरों तले रौंद रौंद कर खेलते रहे और भारत के खिलाफ नारे लगाते रहे और बेशर्मी से वीडियो बनाते रहे , ट्विट्टर पर बहुत सारे लोगों ने कनाडा के प्रधानमन्त्री ट्रुडो लानत मलामत की है , ट्रुडो को इससे पहले चीन के राष्ट्रपति ने भी सार्वजनिक रूप से लताड़ लगाईं थी और अभी हाल ही में जी 20 सम्मलेन में भाग लेने आए ट्रुडो पूरा समय नशे में पाए गए थे

हालात इतने बुरे हो गए हैं कि एक विशेष क्षेत्र में खालिस्तानियों ने कब्जा करके उस क्षेत्र को खालिस्तान घोषित कर दिया है और वहां खालिस्तानियों ने कई बार अन्य भारतीयों को वहां से निकल जाने की धमकी भी खुलेआम दी जिस पर कनाडा ने प्रशासनिक तौर पर भी चुप्पी साधे रखी है।

भारत के के बाद श्रीलंका ने भी कनाडा को आतंकियों का पनाहगाह बनने की राह पर जाता देश बता कर खेद और चिंता जताई है।

जेल से पेरोल पर रिहा लालू देख रहे लौंडा नाच : वीडियो हुई वायरल

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बताओ भला , ये भी कोई बात हुई , अरे चलिए बात हुई तो हुई , ये भला कोई खबर हुई की जेल से पेरोल पर रिहा हुए बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान उप मुख्यमंत्री के पूजनीय पिताश्री श्री लालू यादव जी , खराब स्वास्थ्य के आधार पर इन दिनों , अदालत द्वारा चारा घोटाले में दोषी ठहराए जाने के बाद सुनाई जाने वाली सजा काटने के लिए जेल में थे , इसी बीच उन्हें स्वास्थ्य संबंधी कठिनाई हुई तो वे पेरोल (एक तरह की सशर्त सकारण जमानत ) पर रिहा होकर स्वास्थ्यलाभ के लिए अपने घर पटना आ गए।

अब यहाँ किसी समारोह में , समारोह में गांधी अंबेडकर आदि वंदनीय लोगों की तस्वीर लगे होने से अनुमान है कि कोई राजनैतिक, सामाजिक कार्यक्रम ही रहा होगा , कार्यक्रम में क्या कुछ हुआ ये तो पता नहीं लेकिन जो एक वीडियो बहुत तेज़ी से ट्विटर तथा अन्य सोशल नेट्वर्किंग साइट्स पर तेज़ी से वायरल होकर देखी जा रही है , इसमें स्टेज पर कुछ लड़के ,नर्तकियों सा स्वांग और वेशभूषा बना कर जम कर थिरक रहे हैं (इसे बिहार में लौंडा नाच कहा जाता है ) वीडियो में देखा जा सकता है कि लालू यादव और उनके बड़े सुपुत्र श्री तेज प्रताप यादव अपनी चिर परिचित हरी टोपी में , समारोह की सबसे अग्रिम पंक्ति में बैठ कर नाच का रसास्वादन कर रहे हैं।

अजी पूछिए ही मत , लोगों ने इतना बवाल काट दिया कि बस ,

क्या बाबा , अइसे करियेगा , मने उधर पूरा देश दुनिया महिला आरक्षण क़ानून बना दिया और मना के पूरा जश्न मना दिया और इधर आप स्टेज पर , ई थुथराहा लड़का सबको , जबरदस्ती लहंगा चुन्नी पहना के कुदवा रहे हैं , अरे गान्ही बाबा के फोटो पीछे कर देना था कि नहीं ,बाबा कोई बात नहीं कभी कभी बेटर स्वास्थ्य के लिए नृत्य उर्त्य को इंज्वा भी नहीं कर सकते क्या , लेकिन भीड़ीयो नहीं न बनाना थी जी , अजी हाँ

G 20 के जवाब में चीन की G 2 की बैठक : ग्रुप को पाकिस्तान lead (लीद)करेगा

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भारत में जी 20 के सफल आयोजन से जल भुन और फुंक कर चीन  ने आनन् फानन में जी 2 की बैठक बुलाने का विचार किया है।  जी 2 में विश्व के दो बड़े देश चीन और रूस शामिल होंगे।  पाकिस्तान को भी बैठक में शिरकत करने के लिए बुलाया गया है।  अंदरूनी खबर ये है कि पाकिस्तान को भरपेट बिरयानी खिलाने का लालच देकर , बैठक के इंतज़ाम पानी आदि के लिए बुला लिया है।

बैठक के मुद्दे पर कोई सहमति न बनी तो दोनों देश मिलकर पाकिस्तान को गरियायेंगे क्योंकि यही एक अकेला देश है जिसको गरियाने और लतियाने पर , दुनिया के किसी भी देश को दुःख या मलाल नहीं होता कई बार तो खुद पाकिस्तान को भी महसूस नहीं होता , आखिर सालों से आदत पड़ी हुई है।

वैसे सुनने में तो ये भी आया है कि पाकिस्तान को जी 2 देशों ने ये दिलासा दिया है कि – आपने गबराना नई ए , ग्रुप को lead (लीद ) तो पाकिस्तान ही करेगा।  वल्लाह ये तो तौबा तौबा का मकाम हो गया जी

सनातन शाश्वत सत्य है : था , है और हमेशा रहेगा

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हिन्दू , हिंदुत्व , सनातन को कोसना , गाली देना , अपमानित करना और अब कुक ह ओछे राजनेताओं द्वारा सनातन को असाध्य रोग सामान बताया जाना ये सब कुछ न पहली बार हुआ कर किया जा रहा है और न ही ये आख्रिरी बार होगा।  इससे पहले भी इस तरह की कई कुत्सित और एजेण्डेवादी प्रयास होते रहे हैं और सनातन और हिन्दू इष्टों तक को अपमानित लांछित किए जाने की कई घटनांए होती रही हैं।

सनातन को ख़त्म करने का ताज़ा ताज़ा ख्याली ख़्वाब देखने वाले इतिहास के सारे सबक भूल गए तभी ये नहीं समझ पाए की हज़ारों सालों से सैकड़ों  , आताताईयों, आक्रांताओं , जिनका उद्देश्य भी एकमात्र यही था सनातन को ख़त्म करना और अपनी इस कोशिश में ये सभी समय की गर्त में चले गए और चिर शाश्वत सत्य सनातन हमेशा ही अक्षुण्ण बना रहा।

असल में सनातन पर प्रश्न खड़ा करने वाले सनातन की परम्पराओं मान्यताओं पर संदेह वाद विवाद उत्पन्न करने वालों का ज्ञान सनातन के विषय में बिलकुल शून्य है तभी वो ऐसे बचकाने बातें करके अपना मन बहलाते हैं।  सनातन को ख़त्म करने की बात कहने करने वालों को ये भी बताना चाहिए कि आखिर वे ऐसा क्या करेंगे कि सनातन सिरे से ही जड़ से ही ख़त्म हो जाएगा।

सनातन के लिए सृष्टि ही ईश्वर है और प्रकृति प्रदत्त सब कुछ आदरणीय , पूजनीय है।  सूर्य , चाँद , धरती , पहाड़ , जंगल ,  नदियां ,पशु पक्षी , पेड़ सब कुछ पूरा ब्रह्माण्ड के कण कण में जो भी मूर्त अमूर्त यहाँ तक की सजीव निर्जीव जो भी पूरी मानव जाती के कल्याणार्थ और प्राकृत है वो सम्पूर्ण सनातन है।  शिक्षा , संस्कार और यहाँ तक की व्यवहार में भी सनातन है।  

और कोई क्यों चाहता है सनातन का नाश , सनातन का उन्मूलन और क्या क्या ख़त्म करोगे भाई , सूर्य , चाँद ,धरती , पहाड़ नदी , तो इन सबको पूजते रहते हैं तो जब तक इस ब्रह्माण्ड में धरती है और रहेगी तब तक इस धरती को माँ कहने वाले सनातनी भी रहेंगे।  जब तक इस धरा पर गंगा और हिमालय हैं तब तक सनातन शाश्वत था और रहेगा बाकी दुनिया तो आनी जानी है

कांग्रेस : तुम्हारा दुःख खतम काहे नहीं होता बे

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जबसे कांग्रेस के हाथ से सत्ता ,सरकार गई है तभी से , भाई साहब तभी से , भाई साहब तभी से इस पार्टी का ढोल ढपली सब फट गया है।  सरकार बची नहीं , मंत्रालय मिला नहीं , खाली खलिहर होकर एकदम दलिद्दर हो कर रह गए हैं बेचारे।

अब आप खुद देखिये , जब भारत।,  दुनिया को अपने दम पर चाँद पर पहुंच कर हुंकार भर रहा होता है ये पार्टी और इनके चश्मों चराग निकल पड़ते हैं पैदल भारत घूमने और उससे थके तो सीधा विदेश , और भारत भी किसलिए घूमे , भारत को जोड़ने के लिए , कहाँ जोड़ना , किसके साथ किसे जोड़ना है कब जोड़ना , इसका कुछ अता पता ही नहीं बाकी सब ब्ला ब्ला ब्ला।

इतने सालों में संसद से लेकर सड़क तक और पोल से लेकर पार्टी तक कहीं भी कभी भी , प्रभावशाली , तार्किक , दूरदर्शी या जुझारू दीखते लगते तो भी कहा माना जा सकता था की सत्ता में पचास साल तक बैठी पार्टी विपक्ष में उठने बैठने के सामान्य संस्कार से तो परिचित होगी ही।

अभी जब पूरी दुनिया भारत की अगुआई में मेजबानी में भविष्य के विश्व और विश्व के भविष्य पर निर्णायक मंथन के लिए एकत्र है तो उन्हें , अपने कांग्रेस को तकलीफ ये है की – मेहमानों को रास्ते में पड़ने वाली झुग्गी झोपड़ियों या उस बहाने दिल्ली दिल्ली देश की तथाकथित गरीबी गन्दगी बदहाली क्यों नहीं देखने दी ,-मतलब कुछ भी। अपना पिछवाड़ा उठा कर बवासीर दिखा कर मेहमान से दवाई पूछने का काम कांग्रेस को करता देख तभी कोई पूछ बैठा

अबे कांग्रेस ! तुम्हारा दुःख ख़तम काहे नहीं होता बे 

 

मेरी वाली दिल्ली : इक दिल्ली भीगी भागी सी

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दिन समय साल
आज अभी दिल्ली

इक दिल्ली भीगी भागी सी ,
जी 20 की रातों में जागी सी

पूरी रात बरसी है दिल्ली ,मद्धम मद्धम लय ताल में और ऊपर छाए काले बादलों से लगातार अमृत बूंदें बरस रही हैं , अच्छा है इस बहाने दिल्ली की धुलाई नहाई हो जाती है

ऐसे मौसम में यदि दिन रविवार का हो तो फिर सड़कों पर आज कोई नहीं दिख रहा , न सामान बेचने वाले न खरीदने वाले , आवाजाही बहुत कम है अभी अलबत्ता तारों पर कबूतरों की बैठक और नीचे गीली गीली ब्लैक होली काऊ, ये सब मौजूद और मुस्तैद मिले

आज दिन भर बादल बारिश के बीच ही रहेगा मामला थोड़ा कम या ज्यादा , चार दिन की छुट्टियों में बाहर निकले लोग आज वापसी की तैयारी में लगेंगे और शाम रात तक घर पर वापसी

जानिये क्या होती हैं -डिजिटल ,वर्चुअल और हाइब्रिड कोर्ट

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पूरी दुनिया पर जब चीनी वायरस कोरोना का हमला हुआ था और पूरी दुनिया इसके शिकंजे में फंस कर स्तब्ध और पंगु सी हो कर रह गई थी , यही वो समय था जब आवश्यकता के कारण कई तरह की नई तकनीक और आविष्कारों पर प्रयोग शुरू किया गया था।  अदालत भी इनसे अछूते नहीं रहे , ज्ञात हो कि एक समय पर जब सब कुछ ठहर रुक सा गया था तब पुलिस , अस्पताल , अदालत आदि जैसे संस्थानों ने भी  अलग अलग और उन्नत विकल्पों तथा उपायों का को तलाशा , उनमें विज्ञान तकनीक और कम्प्यूटर का सामंजस्य बिठाया और तब जाकर मूर्त रूप ले सकी ये नई अदालतें , डिजिटल ,वर्चुअल तथा हाइब्रिड अदालत

वर्तमान में माननीय सर्वोच्य न्यायालय , देश के तमाम उच्च न्यायलय और दिल्ली मुंबई जैसे महानगरों के अतिरिक्त लगभग हर राज्य की अदालतों में ये तीन प्रकार की अदालतें कार्य कर रही हैं या फिर जल्दी ही करने की प्रकिया में हैं। गठन के अनुसार देखा जाए तो इनमें से सबसे पहले

वर्चुअल अदालत
वर्चुअल अदालत का गठन किया गया था और जो विशेषरूप से सड़कों पर ट्रैफिक पुलिस द्वारा काटे जा रहे चालान और उनसे जुड़े मामलों के लिए गठित किया गया था और बहुत कम समय में अपनी उपयोगिता के कारण स्थाई रूप से एक से अनेक अदालतों का गठन कर दिया गया। दिल्ली की तमाम जिला अदालतों में सभी जिलों के लिए अलग अलग बहुत सी वर्चअल  अदालतें काम कर रही हैं

डिजिटल अदालत 
न्यायपालिका काफी समय से स्वयं को कागजरहित करने की दिशा में अनेकानेक पहल करती रही है और अदालतों में कागज़ों की खपत को लगातार कम किए जाने की दिशा में बहुत सारे कदम भी उठाए जाते रहे रहें कंप्यूटर तकनीक के आने और अदालतों में उनके उपयोग ने क्रांतिकारी परिवर्तन लाते हुए कागज़ों के खपत में भारी कमी को प्रोत्साहित किया।माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने इससे उत्साहित होकर कागजरहित अदालतें यानि डिजिटल कोर्ट के गठन का मार्ग प्रशस्त कर दिया। इन अदालतों में सारी अदालती प्रक्रिया इंटरनेट द्वारा ही संचालित की जाती है जहां न्याय प्रशासन द्वारा निर्धारित एप के माध्यम से वीडियो कांफ्रेंसिग द्वारा , माननीय न्यायाधीश , दोनों पक्ष के अधिवक्ता , पुलिस , गवाह तथा अदालत के कर्मचारी के साथ पूरी न्यायिक प्रक्रिया को सुनते समझते व चलाते हैं।  दिल्ली की जिला अदालतों में गठित डिजिटल अदालतों में वर्तमान में चेक बाउंसिंग से जुड़े मामलों की सुनवाई की जाती है 

हाईब्रिड अदालतें
कोरोना काल में स्थापित की गई इन उपरोक्त अदालतों ने गठन के साथ ही तेज़ी से मामलों का निपटान करना शुरू किया , ये सभी के लिए बहुत ही सुविधाजनक हो गया था कि वे सिर्फ अपने मोबाइल से ही अदालती कार्रवाई में भाग ले सकते थे , अपनी बात कह सुन सकते थे और सारे कागजातों को भी मेल द्वारा जमा करवा सकते थे , किन्तु इन सुविधाओं के बाद भी किसी को सिर्फ न्याय मांगने के हक़ से सिर्फ इसलिए वंचित नहीं किया जा सकता क्योंकि उनके पास इन दोनों उपरोक्त अदालतों की जानकारी नहीं है , उनके लिए ही ये व्यवस्था रखी गई , जिसे कहा जाता हाइब्रिड अदालत।  इस अदालत में चाहे तो एक पक्ष इंटरनेट से और दूसरा सदेह स्वयं उपस्थित होकर अदालती कार्रवाई में भाग ले सकता है।

कंप्यूटर तकनीक का न्यायिक प्रक्रिया में सामंजस्य और प्रयोग एक ऐसा विषय है जिस पर बस अभी अभी काम शुरू हुआ है और नित नए प्रयोग किए जा रहे हैं , भविष्य में इससे मुकदमों के निस्तारण में क्या कितनी सफलता मिलेगी ये देखने समझने की बात है फिलहाल न्यायिक प्रक्रियाओं और व्यवस्थाओं में सुधार के लिए किए जा रहे इन प्रयोगों को निश्चय ही शुभकामनाएं देनी बनता है।

अभूतपूर्व बलिदान : ससोदिया साब के बा(ह)र आने तक : कोई भी _____ को हाथ नहीं लगाएगा

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                                डिप्टी साब की जमानत अर्ज़ी सीबीआई कोर्ट से दूसरी बार भी खारिज हो ली और वे अगले अड़तालीस घंटेतक सी बी आई की पेसल वाली रिमांड पर रहेंगे , भई खबर तो दिल तोड़ने वाली है , न न न मतलब इधर लोगबाग सुना है -हज़ारों चिट्ठी पत्री लिखे हैं सब अपने शिक्षा अंकिल को , बहुत भारी प्यार और भारी मन से लिखे हैं बच्चे सब , और इस चिट्ठी को  एकत्रित करने के लिए बाकयदा टेबुल कुर्सी लगा था इस्कूल सबमें , नाम था हेल्प डेस्क , सोचिये अगर बच्चे में से कोई पूछ देता कि अंकल हेल्प डेस्क की जरूरत तो  डिप्टी अंकल श्री सिसोदिया जी को ज्यादा नहीं है आज , खैर तो सिर्फ चार दिन की हवालात में रहने की खबर से आहत कुछ नौनिहालों ने अंकिल को सूचना दी है कि पूरे 96 घंटे तक वे सब बराबर उसी स्पीड पर पढ़ लिख रहे हैं जित्ती इस्पीड पर अंकल जी पढ़वा रहे थे।

तो ये तो हुआ बच्चों की भावनाओं का सम्मान , मगर प्यार बेशुमार हो , बारबार हो , लगातार हो , तो जिम्मेदारी और कुर्बानी भी भौत बी बड्डी बड्डी देनी ही पड़ती है , और चारा भी क्या रह जाता है , जब एक सीएम अपने डेपुटी से थोड़े से कम मुनिस्टर तक की कुर्बानी दे रहे हों तो फिर समर्थकों का भी कुछ फ़र्ज़ बनता है कि नहीं , तो सबने अब ये मन बना लिया है और तय कर लिया है कि , जब तक अभूतपूर्व शिक्षा मंत्री से भूतपूर्व शराब मंत्री बन गए सिसोदिया जी , जेहल की प्रताड़ना और सीबीआई की पेसल पूछताछ के शिकंजे से बाहर नहीं आ जाते और बकौल आम आदमी पार्टी के कहा जाए तो मोदी जी द्वारा फैलाए गए चक्र चाल से बाहर निकल कर नहीं आते तब तक , चाहे कितने ही दिन महीने और लग जाएं , वे तब तक मदिरा , सोम , दारू , बियर , को हाथ नहीं लगाएंगे , यहां तक कि चखने से भी परहेज़ रखने की हिम्मत दिखाने तक के स्तर का आंदोलन करने का मन बना चुके हैं।

उन्हें पूरा यकीन है कि “तुम एक पैसा दोगे , वो दस लाख देगा” वाले महान कर्मठ सिद्धांत की तर्ज़ पर यदि वे एक _____ छोड़ेंगे तो कल होकर उनको ही दस ____मुफत मुफूत मुफ्त वाली जनकल्याणकारी योजना का पूरा पूरा लाभ मिलेगा सो अलग।  लोगों ने अपने इस घनघोर फैसले की घोषणा सड़ जी को टेलिभिजन ,रेडियो , आकाशवाणी और तमाम अखबार , फेसबुक टुईटर सब पर लहालोट होकर करने का आवेदन निवेदन भेजा है , लेकिन सड़ जी अचानक ही इतने सारे डिपार्टमेंट के लिए अपने हिसाब के मॉनिटर ढूंढने में बिज्जी हैं कि वे प्रचार गाडी के लिए टेम ही नहीं निकाल पा रहे , पंजाब वाले मान साब भी अटक गए , जब ओरिजिनल ही नहीं बन रही है तो फिर उसकी कॉपी करें भी कैसे।  

नारायण नारायण , दिल्ली की साफ़ सुथरी अदालत और चकाचक जेल का लाभ देर सवेर सभी अपने अपने कर्मों के हिसाब से उठाने के लिए कतार में एक एक करके सभी हैं , सबका नंबर आएगा। …फिर से सुनिए सबका नंबर आएगा

बागवानी मन्त्र में आज बात -गमलों की

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आज बात करते हैं गमलों की।

बागवानी विशेषकर शहरों में जहां आपको छत पर ,बालकनी में ,सीढ़ियों में और खिड़की पर जैसी जगह ही बड़ी मुश्किल से मयस्सर होती है वहां गमलों में बागवानी ही एकमात्र विकल्प बचता है इसलिए ऐसी शहरी बागवानी में गमलों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाती है।

गमलों का आकार प्रकार सिर्फ सिर्फ उसमें लगाए जाने वाले पौधे पर निर्भर करता है। छोटी जड़ वाले पौधे के लिए छोटे और माध्यम आकार के गमले चल सकते हैं किन्तु जिन पौधों की जड़ों को फैलाव की जरूरत होती है उनके लिए निश्चित रूप से माध्यम आकार के गमले ही चाहिए।

यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि मैंने बड़े छोटे पौधे नहीं कहा है बल्कि कहा है बड़ी जड़ वाले और छोटी जड़ वाले पौधे। मसलन गुलाब के पौधे बड़े होते हैं मगर जड़ छोटी इसलिए छोटे छोटे गमले में भी उग सकते हैं इसके उलट गेंदे फूल छोटे होते हैं मगर रेशेदार जड़ों को फैलाव अधिक चाहिए इसलिए यदि उन्हें आप छोटे गमले में लगा भी दें तो या तो फूल आएंगे ही नहीं या फिर फूल आकर में छोटे आएँगे।

फूलों के गमलों का आकर तो थोड़ा बहुत छोटा बड़ा फिर भी चल सकता है किन्तु फल सब्जी आदि के लिए मध्यम और बड़े आकर का गमला ही जरूरी है नहीं तो फल का आकार छोटा रह जाएगा हमेशा।
गमले मिट्टी के ,प्लास्टिक के ,लकड़ी के और ग्रो बैग भी हो सकते हैं। गमलों का चयन उन्हें रखने जाने वाले स्थान पर भी निर्भर करता है। बस ध्यान ये रखना होता है कि सभी गमलों में पानी की निकासी के लिए निर्धारित छिद्र बना हुआ हो ताकि उसमें पानी न जमा रहे और पौधों की जड़ें अधिक पानी से सड़ न जाएँ।
साग पात धनिया पुदीना मेथी पालक आदि जैसे सब्जियों के लिए चौड़े और कम गहरे गमले का इस्तेमाल किया जाना चाहिए जबकि मिर्च नीम्बू संतरे चीकू अमरूद केले अनार आदि के लिए बड़े और गहरे गमले का प्रयोग उचित रहता है।
गमलों में मिट्टी कभी भी ऊपर से एक दो इंच या तीन इंच तक भी से नीचे ही रहनी चाहिए ताकि पानी डालने के बाद जड़ों तक पहुँच कर सोखने के लिए पर्याप्त पानी व समय मिल सके।

शुरुआत में बागवानी करने वालों को ,बोतलों ,ज़ार ,मग आदि को गमलों में परिवर्तित करके बागवानी में रोमांच के प्रयोग से बचना चाहिए। जब बागवानी में सिद्ध हस्त हो जाएं तो फिर चाहे वे अपनी हथेली पर भी गुलाब उगा लें।

गमलों को मौसम में गरमी सर्दी के अनुसार उनका स्थान भी बदलना जरूरी होता है। इससे एक तो पौधों को अनुकून वातावरण मिल जाएगा दूसरे अधिक समय तक एक स्थान पर पड़े रहने के कारण छत बालकनी आदि में उनसे पड़ने वाले निशान से भी बचा जा सकता है। गमलों के नीचे प्लेट रखना भी इन निशानों से बचाने का एक विकल्प होता है।किसी भी गमले की उम्र कम से कम चार वर्ष तो रहती ही है बशर्ते कि आपसे भूलवश वो गिर कर टूट न जाए।

बदज़ुबानी , बदगुमानी , बदहवासी : विपक्षी राजनीति के परम तत्व

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जब राजनीति में सिर्फ स्वार्थ , लालच , पैसे की हवस के लिए घुसा और जुड़ा रहा जाता है और सालों दो सालों नहीं बल्कि दशकों तक , पूरे देश , कर समाज के जीवन , अधिकार सब पर डाका डालने की आदत परम्परा सी बन जाती है और फिर ऐसे में अचानक ही एक दिन लोगों को ये सारा खेल समझ आने लगता है।  एक व्यक्ति , एक राजनैतिक विचार , एक राजनैतिक दल ठीक वही सब देखता , दिखाता , बोलता है जो असल में इस देश की जनता कहना सुनना चाहती थी , आगे बढ़ना , पढ़ना , सीखना विकास करना चाहती थी।  उतार फेंका वो दशकों तक बार बार गरीबी हटाओ , देश बचाओ का तिलस्म।  बस सत्ता एक बार हाथ से फिसली और जैसे माला की गाँठ खुलते ही सब बिखर जाता है ठीक वैसे ही सत्ता और कुर्सी का सिरा , शक्ति का नशा दंभ उतारा , सब कुछ सड़क पर आ गया।

अब तक लोगबाग सरकार को , उसकी नीतियों को , कई बार राजनेताओं के कहे और किए को लेकर उन्हें कोसती थी , आलोचना करती थी गालियां भी देती थी मगर इन सबके बावजूद कोई कभी ये नहीं कहता था इस देश का प्रधानमंत्री मर जाए , कोई उसकी बोटी बोटी काटने की बात नहीं करता था , कोई समूह गिरोह बना कर “हाय हाय मोदी , मर जा मोदी जैसी घिनौनी दुआ नहीं माँगता था और तब कोई भी ऐरा गिरा और नत्थू खैरा प्रधानमंत्री जैसी कद्दावर राजनैतिक शक्शियत के पिता माता के बारे में एक शब्द भी बदगुमानी बदजुबानी का कहने की सोच भी नहीं सकता था।  

आज विपक्ष की बदहवासी अपने पतन की चरम सीमा पर है और दिनों दिन न सिर्फ विपक्षी नेताओं की बदगुमानी और बदजुबानी बढ़ रही है बल्कि सार्वजनिक और निजी जीवन में अक्सर अपने बेहूदे बोल , ओछे व्यवहार और निंदनीय आचरण के लिए ही कुख्यात होकर जनता के बीच नुमाया हो रहे हैं , और ज्यादा बढे तो गिरफ्तारी , अदालत ,कचहरी ,जमानत और माफीनामे वाली फाइल तो खुली ही रहती है।  कांग्रेस जैसी कभी बहुत बड़ी रही विपक्षी पार्टी से लेकर अभी हाल ही में धरना अनशन देते हुए , हुड़दंग हल्ला मचाते हुए और अब लोकसभा विधानसभा से लेकर  नगर निगम तक में शराब पीकर जाने से लेकर मार पिटाई फसाद की नीति नियम पर चलने वाली आम आदमी पार्टी के सूरमा , सभी को प्रधानमंत्री मोदी को , उनके पहनावे , बोल चाल , तेवर और न हुआ तो उनके माता पिता सबके बारे में अपमानजनक , घटिया बात बोल कर ही राजनीति की दूकान चलानी है।

अफ़सोस कि , सोशल मीडिया और इंटरनेट के इस युग में कुछ भी ढका छुपा नहीं रह पाता , कही हुई बात न की गई हरकत और इत्तेफाकन ये जो सीधी सरल सी जनता है , ये भी अब सब , बोले तो सभी कुछ जस का तस समझने लगे हैं , किसको चुनाव के वक्त क्या याद आता है , किसने पहले कब क्या किसे कितना कहा था सब कुछ जनता याद भी रखने लगी है और राजनेताओं को बता जता भी रही है कि उन्हें सब याद रहता है अब।  तो फिलहाल तो खेड़ा जी , अदालत की डाँट का पेड़ा खाकर किसी तरह से अपनी गर्दन बचा पाए हैं आगे आगे देखिए होता है क्या