सिर्फ चड्ढा ही अकेला लाल नहीं होगा :सनातन विरोधी बॉलीवुड को रसातल में पहुँचाएगी जनता

एक के बाद एक लगातार , बड़े बैनर और बड़े नामों की पिक्चरों का हाल कबाड़ी बाज़ार में रखे रद्दी के ढेर जैसा होता हुआ देख कर एक तरफ जहां लोगों के कलेजे को ठंडक मिल रही है और वे एक एक सिनेमा को , वो कहता हैं न चुन चुन कर मारूंगा , वैसे ही चुन चुन कर तलाश तलाश और इतना है नहीं खुलेआम पहले ही बता कर चेता दे रहे हैं कि , सड़क टू आई तो सड़क पर धुल चाटेगी और शेरा बकरी भी न बन सकेगा।  हालात ऐसे हैं तो फिर आमिर खान -जैसे दोहरे चरित्र और निजी जीवन में बेहद ही निम्न स्तरीय व्यवहार वाले -के उस फिल्म के लिए जिसे वो अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बता रहा हो लोगों ने यदि बहिष्कार की मुनादी कर दी है और जनाब पर्फेक्शिनस्ट मिमियते घूम रहें हैं तो ये दर्द अच्छा लगता है।

आमिर खान जैसे अभिनेता जिन्होंने इस देश में रहकर यहाँ के लोगों के प्यार और पैसे से , मिली शोहरत ऐशो आराम मिलने का एहसान इस तरह से चुकाया की दो दो शादियॉँ और तलाक के बाद तीसरे की तयारी में लगे इस खान को सार्वजनिक रूप से यह कहना पड़ता है कि भारत में बढ़ती असहिष्णुता के कारण ये देश रहने के लिए असुरक्षित लगता है।  लानत है ऐसी निर्लज्जता पर।  जाने फिर किस हिम्मत से किस मुँह से यही सत्यमेव जयते जैसा टेलीविजन धारावाहिक लाते हैं और फिर वही किसी के दर्द , किसी की मेहनत , किसी की सफलता सबको सिनेमा में डाल कर अपना एजेंडा घोल घाल के , फिर चाहे इसके लिए किसी का अपमान करना पड़े या इससे भी नीचे की कोई हरकत , करके पाँच सात सौ करोड़ कमा पर इसी देश के लोगों को भला बुरा कहना ही असली कल्ट है।  बताइये भला , सीधा सा सरल सा ही तो फंडा है।

और अब तो कह भी रहे हैं कि भाई चड्डे को ऐसे मत लाल करो -इंडिया से तो बहुत प्यार है।  हो भी क्यों न , ऐसा और कौन सा देश होगा भला जहां एक मज़लिम कला के नाम पर कभी माँ सरस्वती की नग्न पेंटिंग बना कर भी महफूज़ रहता है तो दूसरा खुलेआम भगवान् शंकर सहित मंदिर पुजारी सबका अपमान करना मजाक बनाता है और यही सब बकवास दिखाते हुए करोड़ों कमाता है -ऐसे में किसी का भी मानसिक रूप दम्भी  होना समझ में आता है।  लेकिन पिछले पांच सात वर्षों में देश और दुनिया में हाल और हालात दोनों बहुत तेज़ी से बदले हैं।

सिनेमा , धारावाहिक , वेब सीरीज़ , स्टैंड अप – एक को , किसी एक को भी नहीं बख्शा लोगों ने , हालाँकि अमन के पैगाम वाले मजहब के शांतिप्रिय लोगों की तरह -दूसरों का गला काटने जैसे हैवानियत की अपेक्षा हिन्दू समाज से कभी की भी नहीं जानी चाहिए लेकिन -कला और अभिव्यक्ति के नाम पर बार बार साजिशन हिन्दू और सनातन का अपमान , मंदिरों , पुजारीयों की गलत छवि का चित्रण आदि की सारी कलई लोगों के सामने धीरे धीरे खुल जाने से स्थिति आर पार जैसी हो गई।

तो अब ये तय है अक्षय कुमार की फिल्म हो या आमिर खान की , या किसी भी अन्ने बन्ने की , हिन्दू विरोधी , देश विरोधी , सेना विरोधी , राम विरोधी – सत्य सनातन विरोधी हुई तो उसका भी हश्र यही और सिर्फ और सिर्फ यही होने वाला है जो पिछले दो सालों से बॉलीवुड सिनेमा की पिक्चरों का हो रहा है यानि -डब्बा गोल।  

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