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प्रधानमन्त्री मोदी से नफरत की इंतहा : किसी ने PM केयर्स फंड तो किसी ने वैक्सीन प्रमाणपत्र से PM की फोटो हटाने को दायर किया मुकदमा 

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दुनिया में शायद ही कोई ऐसा अभागा देश होगा जहाँ के कुछ लोग नफरत और द्वेष में अंधे होकर अपने ही प्रधानमंत्री की फोटो , चेहरे आदि को हटाने के लिए अदालत का दरवाज़ा खटखटाने लगें।  प्रधानमंत्री मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व और देश के प्रति उनकी निष्ठा ने बेशक आज दुनिया में भारत को विश्व के सबसे प्रभावशाली देशों में से एक बना दिया हो।  बेशक ही भारत जैसे विशाल जनसमूह वाले देश में एक नहीं दो दो बार प्रचंड बहुमत से उन्हें देश का नेतृत्वकर्ता चुना गया हो , मगर अपनी ही कुंठा और नफ़रत में जलते कुछ मुट्ठीभर लोगों को ये सब पसंद नहीं आ रहा है।

आज जहाँ , केरल उच्च न्यायालय में याचिका दायर करके , कोविड वैक्सीन प्रमाणपत्र के ऊपर प्रदर्शित , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर को हटाने की माँग की गई है तो वहीँ , मुंबई उच्च न्यायालय में एक कांग्रेसी नेता द्वारा -PM केयर्स फंड के लोगो पर , प्रधानमंत्री की फोटो समेत राष्ट्रीय चिन्ह आदि को हटाए जाने हेतु भी एक याचिका दायर की गई है।

केरल उच्च न्यायलय ने , याची को लताड़ लगाते हुए पूछा कि -आखिर देश के ऐसे प्रधानमंत्री जिनपर देश सहित दुनिया को गर्व है -उनकी फोटो से याची को क्या कठिनाई है और वे जिस संस्थान से सम्बद्ध हैं उस संस्थान का नाम पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल के नाम पर है तो फिर उसे हटाने की माँग क्यों नहीं रखी ?? जबकि मुंबई उच्च न्यायालय ने दायर याचिका पर नोटिस जारी करके केंद्र सरकार से इस विषय पर उनका जवाब जानना चाहा है।

अब थोड़ी देर के लिए कल्पना करके देखिये कि , दशकों बाद भारत जैसे विकाशील देश के प्रधानमंत्री की शख्शियत और व्यक्तित्व से मोहित और प्रभावित होकर आज दुनिया का हर देश भारत का साथ और हाथ चाह रहा है , दुनिया के शक्तिशाली देशों के मुखिया तक प्रधानमंत्री मोदी से एक मुलाक़ात की प्रतीक्षा करते हैं -ऐसे में , खुद उनके अपने देश के कुछ लोग , राजनैतिक प्रतिद्वंदिता में अंधे होकर इस तरह की उल जलूल हरकतें और व्यवहार कर रहे हैं।

असल में भारत को अपने खानदान की बपौती मानने वाले कुछ राजनेता और उनके चश्मोचराग़ों ने तो कुछ ऐसी नीति और नियम बना रखे थे जिससे सिर्फ और सिर्फ एक ही परिवार का नाम , फोटो , चेहरे , वक्तव्य ही पूरे देश में दिखाई सुनाई देते रहते थे।  ऐसे में इस परिपाटी को तोड़ कर , कभी शिवाजी , कभी पटेल , कभी सुभाष , और अब मोदी के चेहरे , कथन और कर्म से इन तमाम पिछलग्गुओं को बहुत तकलीफ हो रही है।

प्रधानमंत्री मोदी के मुंह से औरंगजेब का नाम सुनते ही मुगलों में बढ़ी बरनोल की बिक्री

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प्रधानमंत्री मोदी के मुंह से औरंगजेब का नाम सुनते ही मुगलों में बढ़ी बरनोल की बिक्री

ये तो होना ही था और कहें कि ये तो होता ही है , जब भी प्रधानमंत्री मोदी सनातन से जुड़े किसी भी प्रतीक या स्थल पर पहुँचते हैं तो , कांगी वामी समेत तुष्टिकरण से अब तक , अपनी राजनीति की दुकान और धंधा चलाने वाले तमाम विपक्षी और उनके साथ साथ पूरी मुग़ल जमात जैसे गर्म तवे पर बैठ कर उछलने लगती है। और फिर जब अवसर हो बाबा विश्वनाथ भोला महादेव की नगरी काशी को दोबारा से भव्य और दिव्य बनाने के अपने संकल्प को पूरा करने के जयघोष की तो फिर तो कहना ही क्या।  विरोधी चारों तरफ सिर्फ बरनोल ही तलाशते फिर रहे हैं , और करें भी क्या ??

प्रधानमंत्री मोदी ने , इस बार न सिर्फ ,  मुगलों के अब्बू और दादू हज़ूर , औरंगजेब का नाम क्रूर आक्रमणकारी के रूप में लिया बल्कि सार्वजनिक रूप से यह भी उद्घोष कर दिया कि , जब जब इस देश पर कोई औरंगजेब अपनी कुत्सित नज़र और हैवानियत लिए खड़ा होगा उसके सामने छत्रपति शिवाजी महाराज जैसा देश का कोई सपूत भी जरूर आएगा और उसके सारे घमंड का मर्दन करके रख देगा।

विपक्षी जो पिछले सात सालों से यूँ ही बौराए बौखलाए से घूम रहे हैं उनके नेतृत्वकर्ताओं को यही नहीं पता चल रहा है कि आखिर वे इन सब पर प्रतिक्रया दें भी तो कैसी प्रतिक्रया दें।  कल राहुल गाँधी “महंगाई हटाओ रैली ” में हिन्दू और हिंदुत्ववाद पर कांग्रेसी डिक्शनरी का भावार्थ समझा रहे थे तो आज अखिलेश झुंझलाते हुए – काशी बनारस को , अंतिम समय पर जाया जाने वाला स्थान बताकर , प्रधानमंत्री मोदी पर ताना मार रहे थे।

अगले कुछ महीनों में ही, अनेक राज्यों में होने वाली  विधानसभा चुनाव में अपनी संभावित हार के बाद फिर वही ईवीएम का रोना रोने के लिए पहले ही तैयार होते विपक्षी असल में अब अपने ही बुने जाल में फँसते नज़र आ रहे हैं।  हमेशा ही हिन्दुओं , सनातन , मंदिरों , नदियों की उपेक्षा करते हुए और तुष्टिकरण के सिद्धांत और फार्मूले को अचूक मान कर विशेष मज़हब और ख़ास जमात के साथ ही अपनी राजनैतिक साँठ गाँठ करते थे।

अब जबकि , मोदी सरकार एक एक करके , सनातन के सारे प्रतीक स्थलों , भगवान् राम , कृष्ण और आदि देव महादेव से जुड़े दिव्य स्थलों के जीर्णोद्धार करके , उनका पुनर्निमाण करके , उनका सौंदर्यीकरण करके , पूरी दुनिया में सनातन का डंका , सनातन का जय घोष फिर से स्थापित कर रहे हैं तो ऐसे में विपक्षियों को समझ ही नहीं आ रहा है कि वे किसके पक्ष में रहें और किसका विरोध करें।

सूत्रों की माने तो , अयोध्या और काशी के बाद अब मथुरा में भी कृष्ण जन्भूमि के पुनरुत्थान की दिशा में सरकार और सम्बंधित विभाग अग्रसर हो चुके हैं।  ज्ञात हो कि इस सम्बन्ध में पहले ही दायर याचिका में अदालत ने पुरातत्व विभाग को सारे साक्ष्य एकत्र करके रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दे दिया है।

जो भी हो , इतना तो तय है कि आने वाले समय में सनातन का ये जयघोष और अधिक प्रचंड और तीव्र होगा और देव कार्य में जो भी जहाँ भी जैसे भी बाधा बनेगा या डालेगा , काल स्वयं उसका सारा हिसाब किताब करेगा।  जय सनातन , जय हिन्दू धर्म।  जय हिन्द।

हिन्दू , हिंदुत्व और हिन्द मात्र से भी कोसों दूर हो तुम मिस्टर गांधी

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राहुल गाँधी को अब तक जान चुके सभी लोग एक स्वर में जो बात कहते हैं वो ये कि , आज राजनीति में , सड़ केजड़ीवाल और दीदी मोमता जैसे घाघ राजनीतिज्ञों के बीच अभी भी सबसे मासूम और नीरीह , कांग्रेस के राहुल गाँधी ही हैं , हमेशा से है वही हैं और दिनों दिन वे अपने आपको और भी ज्यादा प्रमाणित कर रहे हैं।

आज जयपुर में ” महँगाई हटाओ रैली ” में भाग लेने के लिए अपनी एक बहुत ही गरीब सी लाखों की गाडी में पहुँचे और अपने सम्बोधन में उन्होंने एक पारखी अर्थशास्त्री की तरह से पूरी दुनिया को -हिन्दू और हिंदुत्व -इन दो शब्दों का अर्थ वो बताया जो असल में उन्हें समझ में आया या फिर जैसा की उन्हें समझाया गया -और उसका लब्बो लुआब ये कि -हिन्दू हो गए गाँधी जी और हिंदुत्ववादी (असल में वादी प्रतिवादी बने रहने का एक पारिवारिक चरित्र ही रहा है इनका इसलिए वादी घुस ही जाता है सब जगह ) हो गए पंडित नाथूराम गोडसे।

बहुत लहालोट होकर इन्होंने पूरे मनोयोग से उपस्थित कांग्रेसी भद्रजनों के ये समझाया और ताज्जुब ये की वे यही समझे भी -अब कांग्रेस है , कुछ भी हो सकता है।  लेकिन एक मिनट -विषय इस एकत्रीकरण करण का महँगाई था न -और संदेश में -गाँधी गोडसे के बीच आप रेस कराना चाह रहे हैं।

मिस्टर गाँधी -यहाँ सिर्फ दो दिक्क्त है , ज्यादा बड़ी भी नहीं है कि आपको उससे बचने के लिए छुट्टी पर -बतौर हिन्दू किसी तीर्थस्थल /धर्मस्थल के कल्याणार्थ ही सही दर्शनार्थ ही सही जाना पड़ जाए -वैसे मिस्टर गाँधी आप तो शायद विदेश में छुट्टियाँ मनाने वाले हिन्दू हैं एकदम क्लासी वाले हिन्दू।  जिसे आज तक किसी हिन्दू पर्व त्यौहार मनाते तो छोड़िए उसकी बधाई देते लेते नहीं देखा गया , कभी राखी ,भैया दूज ,होली न सही तिलक चन्दन , सुनिए , आपसे नहीं हो पाएगा।  असल में पूर्व प्यारे श्री मोहन जी भी गोल्ड मैडल वाले थे इकोनॉमिक्स में आपने उन्हें पोलिटिकल साइंस का मॉनिटर बना दिया वो भी म्यूट , आप के खुद के सिलेबस में , और कुछ हो न हो पोलिटिकल साईस -आउट ऑफ़ सिलेबस है , तो

तो फिर क्या जरूरत है , हिन्दू हूँ -हिंदुत्ववादी -नहीं हूँ , मतलब कुछ भी -कभी सामने बैठ के बोलिए ये सब किसी के -दो मिनट में -आपका हिंदुत्व ही पिघल के पानी पानी हो लेगा युवराज गाँधी जी।  जागिये थोड़ा , और होश में आइये , नकारात्मकता कभी भी सृजन का पर्याय नहीं हो सकती है कभी भी नहीं , ऐसे समय में जब , प्रधानमंत्री देश के बहुसंख्यक समाज यानी हिन्दू  -और वो कम से कम -आपके वाले मंच और तम्बू के नीचे बने रहने भर वाला हिन्दू नहीं है , आप नहीं समझेंगे आपसे होगा ही नहीं , उस हिन्दू समाज को उसके आदि देव महादेव की इतिहास से भी पहले बनी और जन्मी नगरी काशी को उसके दिव्य रूप में सौंपने जैसा अद्भुत अकल्पनीय क्षण देने जा रहे हैं ,ऐसे समय में

ये हिन्दू और हिंदुत्व -गाँधी और गोडसे के बीच – क्या राहुल गाँधी सच में ही आज देश में इन दो विचारधाराओं के बीच का निर्णय जैसा कुछ देखना परखना चाह रहे है ??

महंगाई हटाओ रैली में -यही , बस यही बच गया था बोलने कहने बताने को -सत्याग्रह से सत्ताग्रह -अच्छा जी , और ये कौन कह रहा है जो देश पर लगभग 60 साल तक खुद सत्ताग्रह में ही रहा हो , महँगाई -है न , जैसे हमने पहले 100 रूपए किलो टमाटर प्याज नहीं खरीदे खाए ,जैसे पहले तो खजाने भरे पड़े थे और अब अचानक ही , जब बोलने कहने को कुछ नहीं बचता तो फिर यही होता है।

बस यूँ ही , इसी तरह कुछ भी बेसिरपैर का विवादित होने की पूरी संभावना वाला बोल कह कर राजनीति को यूँ कृतार्थ करते रहिये , ये भी असल में कोई कम बड़ा उपकार नहीं है।  वैसे अब तक कितनी बार कोर्ट में माफ़ी माँग चुके हैं आप लेकिन —–मन नहीं भरता है , है न

मज़हबी कट्टरता की नफ़रत के मारे : खुद नंगे हो रहे हैं गद्दार सारे

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मोदी सरकार के आने से , हाँ सिर्फ आने भर से ही और , दोबारा प्रचंड बहुमत से देश की सत्ता में लौटने से -भारत करवट लेकर अब नया भारत , नया हिन्दुस्तान बन रहा है। और शायद यही वजह है कि पिछले 70 सालों में ,भारत की आजादी के बाद देश में रह गए और पल बढ़ कर विष बेल बन चुकी जमात , देश विरोधी मानसिकता से ग्रस्त गुट की बौखलाहट और बेचैनी लगातार बढ़ती ही जा रही है।

पडोसी देश पाकिस्तान खेल का कोई मैच हार जाए या भारतीय फ़ौज के हाथों कोई घुसपैठिया कुत्ते की मौत मारा जाए , लालची ,द्रोहियों , बेईमानों , दलालों को घेरने के लिये सरकार कोई क़ानून बनाए या फिर लोक कल्याण में -एक देश एक क़ानून , जनसंख्या नियंत्रण क़ानून जैसी विधियों को बनाने की चर्चा भर हो जाए -कांग्रेस , वामी , और इनके साथ तमाम वो लोग जिन्हें हिन्दुस्तान की एकता , उसका संगठित रहकर दुनिया की एक बड़ी ताकत बनना बिलकुल भी नहीं भा रहा और विशेषकर इसलिए नहीं भा रहा क्यूंकि ये सब -एक हिन्दुत्वादी , एक राष्ट्रवादी पार्टी की सरकार कर रही है वो सरकार जिसे देश के बहुसंख्यक समाज ने एक नहीं दूसरी बार प्रचंड बहुमत देकर सत्तासीन किया है।

अभी हाल ही में हुई एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना में , तीनों सेनाओं के संयुक्त सेना प्रमुख श्री बिपिन रावत और उनके तमाम जाबांज साथियों की मृत्यु हो गई।  ये वो हृदयविदारक दुर्घटना थी जिसपर शत्रु राष्ट्रों और उनके फौजी अधिकारियों ने भी अपनी दुःख और संवेदना व्यक्त की।  मगर देश के गद्दार तो गद्दार ही ठहरे।  आखिर अपनी नफरत , अपनी अलगाववादी सोच को वो कैसे दबा कर रख पाते।  इसलिए देश के इस सपूत और भारत माँ के लालों के यूँ असमय चले जाने के बाद ये भी इनके लिए जश्न का मौक़ा बन गया।  ये लोग पहले भी सैनिकों की मौत ,भारत की किसी भी असफलता कठनाई को अपने लिए जलसे और जश्न का अवसर मान कर सेना ,पुलिस , कानून और सरकार को कोसने , उनका उपहास उड़ाने -अपमानित करने की प्रवृत्ति से ग्रस्त रहे हैं।

इन्हीं दोगले और गद्दार लोगों को पहचान कर उन्हें समाज में पूरी तरह से नग्न करके  इनके असली मंसूबे और मानसिकता की बाबत पूरे देश को जानना चाहिए।  देश का बहुसंख्यक समाज जो अब न सिर्फ इनके प्रति सचेत और सजग हो उठा है बल्कि अपनी तीव्र प्रतिक्रया और प्रतिरोध से अब इन्हें इनके कहे किये का माकूल जवाब दे रहा है।  जानकारी के मुताबिक़ -जनरल रावत और अन्य फौजी वीरों की शहादत का उपहास उड़ाने वाले , अपमानित करने वालों में से सैकड़ों के विरूद्ध शिकायतें दर्ज़ हुई हैं , दर्जनों गिरफ्तार करके जेल भेजे जा चुके हैं और कईयों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।

केन्द्र की मोदी सरकार ने पिछले 7 वर्षों में ये अच्छी तरह से देख समझ लिया है कि , देश के लिए बाहरी दुश्मनों से निपटने से कहीं अधिक जरूरी इन आस्तीन के साँपों का माकूल इलाज ढूँढना भी है।  यही कारण है कि सरकार जल्द से जल्द अपने प्रस्तावित कानूनों को लागू करने की तैयारी कर रही है -ताकि बचे खुचे गद्दार और देशद्रोही चरित्र वाली ये जमात खुल कर अपने अलसी रंग में आए और साथ ही वो भी जो इन्हें वोट बैंक मान कर , सात  दशकों से तुष्टिकरण और चाटुकारिता की राजनीति करके सत्ता पर बैठते आए थे -उनकी भी बची खुची असलियत लोगों के सामने आ जाए।

सुशासन वाली नीतीश सरकार : चवन्नी ,अठन्नी , रुपैया -दारू है तैयार

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बिहार में नीतीश बाबू की सुशासन वाली सरकार , धड़ाधड़ चल रही है और फिर क्यों न चले।  आज के समय में भला ऐसा फैसला , इतना दृढ़ निर्णय -नशाखोरी को बंद करने , ख़त्म करने के लिए पूरे प्रदेश में -शराबबंदी का फैसला।  ज्ञात हो कि , किसी भी राज्य सरकार को -शराब की बिक्री से -एक्साईज़ एक्ट के तहत -अथाह धनराशि कर के रूप में मिलती है जिसे कोई भी राज्य सरकार छोड़ना नहीं  चाहती।  लेकिन गुजरात और बिहार जैसी राज्य सरकारें , जनभावना का सम्मान करते हुए  , उन्हें सुरक्षित -ससंरक्षित करने की सुनिश्चितता तय करने के लिए -शराबबंदी का फैसला ले चुकी हैं।

लेकिन ये -सिर्फ एक पहलू है। दूसरे राज्यों का तो पता नहीं लेकिन बिहार में शराबबंदी सिर्फ एक कागज़ी आदेश भर बन कर रह गया है । पटना ,मुज्जफरपुर , दरभंगा ,मधुबनी जैसे शहरी क्षेत्रों से लेकर सीमांत सुदूर ग्रामीण अंचल तक ,सभी स्थानों पर कहीं चोरी छिपे तो कहीं खुलेआम शराब बनाई ,खरीदी और बेची जा रही है , पड़ोसी राज्यों और पड़ोसी देश नेपाल तक से तस्करी करके भारी मात्रा में शराब बिहार के सारे क्षेत्रों में पहुँचाई जा रही है ।

इस शराबबंदी के ढकोसले की पोल , लगभग हर सप्ताह उन तमाम घटनाओं और अपराधों से खुलती रहती है जिनकी खबरें विभिन्न समाचार माध्यमों में आए दिन छपती और दिखती हैं । कभी बिहार आने जाने वाली रेल की रसोईयान में बरामद होती अवैध शराब की खेप तो कभी प्रदेश के किसी सरकारी दफ्तर से ही लाखों रुपए की अवैध शराब का पकड़ा जाना । ये सब ,अब सामान्य बात हो गई है ।

ग्रामीण क्षेत्रों में पड़ताल से पता चला है कि ,दुकानों ठेकों की तालाबंदी से शराब की खरीद बिक्री पर सिर्फ ये फर्क पड़ा है कि अब इनकी होम डिलवरी करवाई जा रही है । चवन्नी , अठन्नी और रुपया – इस कोड वर्ड के सहारे , पव्वा ,अद्धा और पूरी बोतल खरीदने मंगवाने का ऑर्डर फोन , व्हाट्सएप द्वारा दिया जाता है और सिर्फ थोड़े से पैसों के लालच के लिए , क्षेत्र के युवा और बेरोजगार आसानी से नशे के इस जाल में फँसते चले जा रहे हैं ।

सबसे बड़ी विडंबना यह है कि , प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी की घोषणा के बावजूद आए दिन , बिहार में जहरीली शराब बनाए जाने ,और पीए जाने से सैकड़ों लोगों के मरने , बीमार पड़ने की ये खबरें अब साधारण और सामान्य सी घटना है । इन सब पर न तो राज्य प्रशासन , न ही सम्बंधित विभाग और न ही पुलिस की किसी बड़ी कार्रवाई की जानकारी सामने आती है । थोड़ी बहुत जाँच करने कराने की खानापूर्ति – इसके बाद फिर वही शराब और शराब ।।

तीसरी बार राज्य में सत्ता पर बैठे नीतीश कुमार न तो राज्य की शासन व्यवस्था को संभालने दुरुस्त करने में कोई रुचि दिखा रहे हैं और न ही अपराध , नशे और बेरोजगारी जैसी समस्याओं से निपटने के लिए कोई कदम उठा रहे हैं । यही बिहार की सबसे बड़ी त्रासदी है कि  उसकी किस्मत में चाहे अनपढ़ नेतृत्वकर्ता मिलें हों या पढ़े लिखे इंजीनियर मुख्यमंत्री – राज्य की दुर्दशा वैसी ही बनी रही ।।

कश्मीरी पंडितों को जम्मू कश्मीर छोड़ने की धमकी : “लश्कर ए इस्लाम “ने चिपकाए पोस्टर

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जम्मू कश्मीर में फिर से 90 के दशक वाले हालात की वापसी चाहने वाले आतंकी गुटों ने अपनी हरकत फिर शुरू कर दी है।  पिछले एक सप्ताह में गरीब , निरपराध हिन्दुओं का नाम और धर्म पूछ कर कश्मीर में दसियों लोगों को क़त्ल किया जा चुका है।  हालाँकि सेना और सुरक्षा बल भी अपनी तरफ से इनका सफाया करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है और इन आतंकयों को होने बिलों से निकाल निकाल कर मार रही है।  लेकिन ये आतंकी नए नए संगठनों के नाम से  घाटी में डर का माहौल पैदा करने की कोशिश में लगे हुए हैं। अभी हाल ही में , लश्कर ए इस्लाम नाम के नए नए बने आतंकी संगठन ने घाटी में पोस्टर चिपका कर स्थानीय हिन्दुओं और कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़ देने और नहीं छोड़ कर जाने की सूरत में उन्हें मार दिए जाने की चेतावनी देते हुए पोस्टर चस्पा कर दिए हैं।  
घाटी में लगाए गए धमकी भरे इन पोस्टर में लिखा गया है कि आरएसएस एजेंट , सरकार को खुफिया सूचना देने वाले मुखबिर और तमाम हिन्दू तथा कश्मीरी पंडित , घाटी को छोड़कर चले जाएं अन्यथा वे अपनी जान से हाथ धो बैठेंगे।  असल में सरकार द्वारा 370 की समाप्ति और इसके बाद सेना द्वारा चलाए गए सफाई अभियान में घाटी से सारे आतंकियों का सफाया करने जैसे कदमों से घाटी के चरमपंथी और उनके पाकिस्तानी आका बुरी तरह से झल्लाए हुए थे।  ऐसे में अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी ने एक बार फिर से इस क्षेत्र में पाकिस्तान की सरपरस्ती में आतंक को बढ़ावा देने के मंसूबे पर काम शुरू हो गया है।
हालांकि पुलिस ने इस घटना पर पूरी जानकारी देते हुए बताया है कि , कुछ शरारती तत्वों द्वारा जानबूझ कर घाटी में डर और दहशत का माहौल पैदा कर हिन्दू आबादी को डराने धमकाने के उद्देश्य से किसी अज्ञात आतंकी गुट के नाम पर ये पोस्टर घाटी में चिपकाए गए हैं जिसकी जाँच पुलिस व् स्थानीय जांच एजेंसियाँ कर रही हैं।

10 वर्ष की बहन थी मंदबुद्धि तो भाई मुहम्मद ने अपने 4 दोस्तों के साथ गैंगरेप करके मार डाला

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इंसानियत को भी बुरी तरह शर्मसार करने वाली ये घटना राजस्थान के जयपुर क्षेत्र की है जिसकी कल्पना करके भी मन सिहर उठता है .

दस साल की अबोध बच्ची और वो भी मानसिक रूप से दिव्यांग , उसका कसूर सिर्फ इतना था कि , वो हैवानों के यहां पैदा हो गई . इस मासूम के अपने सगे भाई मुहम्मद ने अपने चार और मुहम्मद दोस्तों के साथ मिलकर इस बच्ची का सामूहिक बलात्कार किया और फिर उसका कत्ल कर दिया . 

ये अपराध , राजस्थान का है जहां कांग्रेस की सरकार है मगर अफसोस है कि कांग्रेस की दोनों महत्वपूर्ण नेता सोनिया और प्रियंका फिलहाल उत्तर प्रदेश चुनाव के कारण लड़की हूँ लड़ सकती हूँ , लड़की हूँ खेल सकती हूँ पर ही अटकी हुई हैं . 

मुगलों की हवस का तो कहना ही क्या , उनके लिए तो बस एक मादा शरीर होता है जिसे नोंचा खसोटा और जब जैसे मन किया उसे मार काट कर फेंक दिया . लानत है इनपर

करवाचौथ व्रत का अपमान : डाबर ने दिखाया समलैंगिक जोड़ा : ट्विटर पर भी चलाया जा रहा है Hate Campaign

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ऐसा लग रहा है जैसे सनातनी हिन्दू पर्व त्यौहारों पर उत्पाद कंपनियों द्वारा एक निश्चित एजेंडे के तहत जानबूझ कर इन्हें विवादित करने की होड़ सी लगी हुई है . एक मामला सामने आता है , लोग विरोध करते हैं और कंपनी और उसके लोग माफी मांगते हैं . अभी मामला शान्त भी नहीं होता इतने में दूसरा ऐसा ही मामला सामने आ जाता है .

डाबर कंपनी ने अपने नए विज्ञापन में करवाचौथ पर्व के रीति रिवाजों का फिल्माकंन करते हुए एक जोड़े को दिखाया हुआ है , लेकिन रुकिए जोड़ा पति पत्नी का ही मगर समलैंगिक है . यानि दो महिलाएं आपस में एक युगल दंपत्ति की तरह अपनी माँ या सास के साथ करवाचौथ की परंपरा को निभा रही हैं . 

कमाल की सोच है इस विज्ञापन बनाने वालों की , एक तरफ तो समलैंगिकता जैसी प्रवृत्ति जिसे भारतीय समाज में अभी व्यापकता और मान्यता नहीं मिली है यदि दो युवतियों ने इस विकल्प को चुना भी है तो फिर वे करवाचौथ जैसा पारंपरिक त्यौहार क्यों मना रही हैं ??

कमपनी की तो जो लानत मलामत हो ही रही है लेकिन इधर कुछ लोग जाने किस एजेंडे से प्रेरित होकर , हर हिन्दू पर्व त्यौहार को बदनाम करने के लिए उसमें झूठ और भ्रम का मसाला लगा कर उसे गलत तरीके से दुनिया के सामने रखने का प्रयास भी कर रहे हैं .

इसके लिए टिव्वर पर बाकयदा ट्रेंड चलाकर #truthofkarwachauth हैश टैग के साथ एक घृणा मुहिम चलाई जा रही और जोर शोर से इसे आगे बढ़ाया जा रहा है . देखिए कैसे इसमें करवाचौथ के बारे में उल्टा सीधा बोला लिखा जा रहा है . जो महिलाएं करवाचौथ का व्रत रखती हैं वे अगले जन्म में गधी बनेंगी . 

बाबा रामपाल नामक एक छद्मवेशी और उसके चेलों चपाटों द्वारा हर बार हिन्दू पर्व के समय इस तरह के अपमानजनक हैश टैग के साथ एक घृणा मुहिम चला कर पर्व त्यौहार मनाने वालों को कोसा जाता है और अपशब्द कहे जाते हैं .

हद तो ये है किया} ये है कि ये सब न तो सरकार और उनकी नियामक संस्थाओं को दिखता है और रात दिन अपनी चौकिदारी से लोगों के अकाउंट सस्पेंड और डिलीट करने वाले ट्विट्टर की टीम को . ये बहुत ही निंदनीय और चिंताजनक बात है .

कोई भी सभ्य समाज कभी भी किसी को , अपनी सभ्यता , संस्कृति ,परपम्परों का उपहास नहीं उड़ाता , उसका अपमान नहीँ करता बल्कि उसमें शामिल होकर उसे संरक्षित और संवर्धित करता है . अफसोस कि आज जब दुनिया में बहुत सारे लोग मज़हबी उन्माद में पूरी दुनिया को एक ही रंग में रँगने को उद्धत हैं तो ऐसे में एक भारत और भारतीय हैं जो अपने बचे हुए को भी नहीं बचा पा रहे हैं . 

तमिलनाडु सरकार ने अब तक मंदिरों को दान में मिला 5 लाख किलो सोना बेचा : दान के आकलन विश्लेषण करने वाली समिति में मुस्लिम भी शामिल

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अभी विजयादशमी पर अपने उद्बोधन में जब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सरकारों पर सीधा सीधा आरोप लगाते हुए कहा था की , सरकारों द्वारा मंदिर और मंदिर की संपत्ति से जुड़ी आय को किसी न किसी बहाने से अपने नियंत्रण में लेने की प्रव्रुत्ति ठीक नहीं है और सरकारों को चाहिए कि वे मंदिर और मठों का सारा धन ,संपत्ति जल्द से जल्द वापस कर दें। 

उस समय शायद ही किसी को अंदाजा होगा कि वास्तविकता का अनुमान सिर्फ एक इस तथ्य से ही लगाया जा सकता है कि , अकेले एक तमिलनाडु की राज्य सरकार ने अदालत में शपथ पत्र दाखिल करके जानकारी दी है कि , राज्य सरकार अब तक ,  तमिलनाडु के मंदिरों में दान के रूप में दिए गए एक दो नहीं पूरे 5 लाख किलो सोना और जेवरात को पिघला कर उसका उपयोग कर चुकी है। और सरकार इतने पर ही नहीं रुकी है बल्कि , अब भी ये प्रक्रिया बदस्तूर जारी है और मंदिरों को दान में मिला धन सोना जेवरात आदि को ठिकाने लगाने का काम किया जा रहा है।  

ज्ञात हो कि , सरकार ने मंदिरों को दान में प्राप्त सोने को गला कर विभिन्न बैंकों में रखने की अनुमति हेतु दायर याचिका में ये जानकारियां अदालत को दी हैं।  इसी याचिका की सुनवाई के तहत दिए गए निर्देशों के अनुपालन में , तीन न्यायाधीशों की एक समिति , मंदिरो के सोने को गलाने और उसे बैंकों में जमा करवाने का सारा कार्य देख रही है 

भाजपा ने इसका विरोध करते हुए , सरकार की नीयत पर सवाल पर सवाल उठाते हुए सरकार के इस कदम को हिन्दुओं विरुद्ध बताया है । उन्होंने पूछा है कि ,मंदिर की धन , संपत्ति का निर्धारण , उपयोग , भंडारण और निष्पादन का अधिकार मंदिर को  , मंदिर समिति को या उनके प्रतिनिधियों को ही क्यों नहीं है । और ये किसके निर्णय से फैसला लिया गया कि ,क्या कैसे होगा ???