संसद में हमेशा अपने अलग अलग करतबों से दुनिया को अपनी काबलियत का परिचय देने वाला गाँधी परिवार और कांग्रेस की सल्तनत के आखिरी राजकुमार जनाब राहुल गाँधी जी ने हाल ही में लोकसभा में “कौआ उड़ , तोता उड़ , कौआ उठ , तोता उठ ” नामक लोकप्रिय खेल खेला।
कभी फर्रे लेकर पढ़ते हुए तो कभी आँख मार कर , कभी संसद सत्र के दौरान झपकी लेते हुए तो कभी अपने हाथ के इशारे से साथी सांसदों को उठ बैठ करवाते हुए। संसदीय कार्य प्रणाली , नियम , नीतियाँ , संसदीय भाषा व्यवहार और गरिमा -इन सबसे तो दूर दूर तक भी कोई सरोकार नहीं है कांग्रेस नेता को।
अब जिस सेना के कप्तान की चाल ही अढ़ाई घर के गर्दभ वाली तो फिर उनको सर माथे बिठाए उनकी मूषक फ़ौज तो उन्हें बैग पाईपर मान कर उनकी बीन पर फिर वही करेगी कहेगी जो वो कहते हैं।
और इनका कसूर भी आखिर क्यूँ मानें। अगले को पता है कि अगर एक से सौ तक भी गिनने के लिए किसी ने कह तो उसमें भी पिच्चतीस गलतियां कर बैठेंगे तो फिर बजट जैसे गूढ़ विषय पर अपने पप्पू पने में जो कुछ भी उद्गार व्यक्त करेंगे उसको अगले दस दिनों तक फिर श्री सूजेवाला जी को अपने सूजे हुए विचारों से रफ़ू करते रहना पड़ेगा .
कांग्रेस की भी जिद है कि चाहे कुछ भी हो जाए बच्चा तो हमरा ऐसे ही खेलेगा और जैसे ही मौका मिलेगा ढेला मार कर भाग जाएगा या फिर हारने की नौबत आते ही तीनों विकेट उखाड़ का भाग निकलेगा . अजी हां .