एक प्याली चाय,
अक्सर मेरे,
भोर के सपनों को तोड़,
मेरी अर्धांगिनी,
के स्नेहिल यथार्थ की,
अनुभूति कराती है॥
एक प्याली चाय,
अक्सर,बचाती है,
मेरा मान, जब,
असमय और अचानक,
आ जाता है,घर कोई॥
एक प्याली चाय,
अक्सर,बन जाती है,
बहाना,हम कुछ ,
दोस्तों के,मिल बैठ,
गप्पें हांकने का..
एक प्याली चाय,
अक्सर ,देती है,साथ मेरा,
रेलगाडी के,बर्थ पर भी..
एक प्याली चाय,
अक्सर मुझे,खींच ले जाती है,
राधे की,छोटी दूकान पर,
जहाँ मिल जाता है,
एक अखबार भी पढने को॥
एक प्याली चाय,
कितना अलग अलग,
स्वाद देती है,सर्दी में,
गरमी में,और रिमझिम ,
बरसात में भी॥
एक प्याली चाय,
को थामा हुआ,है मैंने,
या की,उसने ही ,
थाम रखी है,
मेरी जिंदगी,
मैं अक्सर सोचता हूँ ……
अक्सर चाय पीते हुए ये पंक्तियां मेरे मन में कौंधती हैं , पहले भी शायद कही थी ……आज फ़िर चाय पी …तो फ़िर कहने का मन किया …………और आपका …??