गृह प्रदेश बिहार के साथ बहुत सारी विडंबनाएं जुड़ी हुई हैं और जितनी अधिक विडंबनाएं हैं उतनी ही ज्यादा बुरी स्थिति इस राज्य की बन जाती है जब यकायक ही कोई आपदा घेर ले | इस बार चुनौती (जो कभी बिहार प्रशासन के सामने आती नहीं है ) ज्यादा इसलिए भी दिख रही है सामने क्यूंकि आदतन हर साल आने वाली बाढ़ के अतिरिक्त इस बार कोरोना महामारी ने भी लोगों को लीलना शुरू कर दिया है |
मैंने जबसे होश सम्भाला है तब से लेकर आज तक बिहार का शोक कह कर पढ़ाई और बदनाम की जाने वाली नदी के अथाह पानी का लाभ उठाना तो दूर हर साल उसके नाम पर लाखों करोड़ों रूपए कुछ ख़ास लोगों के हिस्से में चले जाते रहने की रवायत ही देखता सुनता रहा हूँ |
इतने लम्बे समय के बीत जाने भी , देश भर में नई तकनीक और नई संसाधनों से ,कई दशकों तक कोई सुधार नहीं किया गया | हर साल इन बारिश के मौसम में बैठ कर सिर्फ ये समाचार देश भर को देते रहना कि बाढ़ ने यहां इतना ऐसे नुकसान कर दिया |
सिर्फ कोसी ही क्यों ,कमला ,बलान आदि जैसे उपनदियों से भी हर साल ऐसा ही आपदा और आफत की खबरें सुनने देखने को मिलती हैं | कल्पना ही की जा सकती है कि यदि थोड़ा थोड़ा भी इस दिशा में कुछ करने की शुरुआत की गयी होती तो हालात दिनों दिन सालों साल बद से बदतर नहीं होते जाते , या कहा जाए कि ऐसे ही हालत जान बूझ कर बनाए रखे जाते |
अभिलेख कर साक्ष्य बताते हैं की राज्य में कम से कम 83 ऐसी जांच चल रही हैं जिनमे आपदा राशि के साथ छेड़ छाड़ और उस राशि की लूट खसोट से जुड़ा भ्रष्टाचार ही मुख्य अपराध है | ये स्पष्टतया इशारा करता है कि राजेनता और प्रशासनिक अधिकारियों की पूरी सुनियोजित मिलीभगत के बिना दशकों तक इतना बड़ा भ्रष्टाचार करते चले जाना संभव नहीं है |
बिहार के उद्धार के नाम पर , कभी भोजपुरी तो कभी मैथिलि के नाम पर देश से लेकर विदेशों तक में चल और चलाए जा रहे तमाम आन्दोलनों को भी आपसी प्रतिद्वदिता त्याग कर एक लक्ष्य को निर्धारित कर सबको उसके लिए काम करना चाहिए | एक संगठन एयरपोर्ट को मुद्दा बनाए हुए है तो दूसरा चिकित्सा व्यवस्था को ,तीसरे को राजनीति करनी है और चौथे को उसके नाम पर ख्याति हासिल करनी है |
इस परिवेश में फिर आखिर कार ये वर्षा ही क्यों प्रतिक्रियाविहीन रहे सो बार बार पलट कर पिछली बार से अभी अधिक खतरनाक हो कर सामने आ जाती है और अभी ये सिलसिला टूटने वाला भी नहीं है