अंग्रेजीमय दिल्ली की अदालत में ,यूँ तो मैं अपने काम , जुनून और सबसे अधिक अपने बेबाक तेवर कारण (ठेठ बिहारी , सबपे भारी ) ,किसी लंठ लठैत दबंग सरीखा हूँ , मगर जब बात कार्यालय में आधिकारिक रूप से राजभाषा हिंदी में काम करने की होती है तो फिर दिल्ली की 11 जिला अदालत में , अपने हिंदी प्रेम और बस छटांक भर ज्ञान के कारण अपराजित , असीमित और अपने नाम के अनुरूप अजेय हो जाता हूँ |
दो दशकों से अधिक के अपने सेवा अनुभव में मैंने हिंदी के साथ , हिंदी में काम करते हुए , बहुत सारे उतार चढ़ाव देखे , जिला अदालत द्वारा हिंदी में लिखे और सुनाए गए पहले और अब तक के एकमात्र आदेश को तैयार करने से लेकर दिल्ली सरकार द्वारा हिंदी भाषा को प्रोत्साहन देने हेतु आयोजित प्रतियोगिता में प्रथम स्थान सहित अनेकों पुरस्कार प्राप्त करने , विशेष मौकों पर अदालत परिसर में आयोजित किए जाने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मंच पर प्रस्तुति देने , जैसे अनेक और बहुत ही यादगार अनुभव को सहेजता रहा हूँ |
मगर इन सबके बावजूद मुझे और लगभग सबको पता है कि ,सरकारी दफ्तरों ,नीतियों ,नियमों सहित अदालतों में भी हिंदी को सिरमौर बनाने के लिए ,मेरे जैसे बहुत और बहुत से ज्यादा अजय चाहिए जो आने वाले समय के लिए हिंदी को इतना अजेय कर दें कि हम सच में कल को कह सकें , और हाँ सिर्फ एक दिन नहीं रोज़ कह सकें | हिंदी हिन्दू हिन्दुस्तान | और हाँ मैं और मुझ जैसे करोड़ों हिन्दुस्तानी तो रोज़ ही , हर पल ,हर क्षण , जो सोचते भी हिंदी में ही हैं , हिंदी दिवस मना रहे होते हैं | और यकीन मानिए , हर समय हमारी हिंदी जय विजय मनाती है | हम ख़ुद को कभी हारने नहीं देते , और देंगे भी नहीं क्यूंकि ” हिंदी हैं हम ” |