आख़िरकार प्रियंका दीदी भी मैदान में उतर ही आईं वो भी झाड़ू पोछा कैमरा मोबाईल और राहुल गाँधी ,सभी अस्त्र शस्त्रों से लैस होकर। और इस बार उन्होंने घोषणा पर घोषणा कर दी। पहली तो यही कि -देखो जब हम सारी सीटों पर सारे राज्यों में हार ही रहे हैं तो इस बार हम चालीस प्रतिशत सीट अपनी बहन दीदी माताओं को हारने के लिए कुर्बान कर देंगे।
महिला सशक्तिकरण की ये अलख इतने पर ही नहीं रुकी बल्कि ट्विट्टर पर बाकयदा ट्रेंड चलाकर (#लड़की_हूँ_लड़_सकती_हूँ ) मिसेज वढेरा ने मानो यलगार हो कह दिया हो। अब ऐसे में यकायक ही जब सबको पीछे करते हुए प्रियंका दीदी ने कांग्रेस की सारी फुटेज खा ली तो राहुल गाँधी भी असमंजस से बाहर आकर कहना चाह रहे हैं ,लड़का हूँ तो क्या ,मैं नहीं लड़ सकता क्या ??
अब ये तो दीदी गाँधी ही भैया गाँधी को बता समझा सकती हैं कि उनको अचानक ये कहने की नौबत क्यों आ गई कि लड़की हूँ लड़ सकती हूँ -जबकि वे चाहें तो ये बिना कहे भी लड़ सकती थीं या फिर ये भी कि वढेराइन हूँ लड़ सकती हूँ और कुछ न सही तो ये तो पक्का ही कि कांग्रेसी हूँ – सिर्फ लड़ ही सकती हूँ।
राहुल दूसरी बात ये भी नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर दीदी गाँधी ने आम आदमी पार्टी का चुनाव चिन्ह झाड़ू को क्यों अपने साथ फुटेज देनी शुरू कर दी है। वे जहां भी मोबाइल कैमरे देखती हैं या तो मुझे जाने नहीं दे रहे , रोक रहे हैं कहने लगती हैं या फिर फौरन ही झाड़ू उठा कर साफ़ कमरे , जगह को बुहारने लगती हैं और साथ ही कहती जाती हैं -लड़की हूँ लड़ सकती हूँ।
उधर पार्टी वाले भी कह रहे हैं कि अगर दीदी भैया लड़की लड़का होने की बात पर ही लड़ सकते हैं तो हमारे पास तो फिर भी सर फुटौव्वल के लिए बहुत सारे मसाले हैं। यही सोच कर सिद्धू कैप्टन , पायलय गहलोत आदि सब भी आपस में ही लड़ भिड़ कर पार्टी लाइन पर बने रहते हैं।
लड़ेगा इंडिया तभी तो सब पर भारी पड़ेगा इंडिया।